
फडणवीस सरकार ने 30 जून 2026 तक किसानों की कर्जमाफी की नई तारीख घोषित की
बच्चू कडू का आंदोलन रंग लाया या अधूरा रहा?
फडणवीस सरकार ने 30 जून 2026 तक किसानों की कर्जमाफी की नई तारीख घोषित की
नागपुर / मुंबई | प्रतिनिधि:
किसानों की कर्जमाफी की मांग को लेकर पिछले कुछ महीनों से चल रहे बच्चू कडू के आंदोलन ने आखिरकार महाराष्ट्र सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। हालांकि, सरकार द्वारा तय की गई नई तारीख को लेकर किसानों में संदेह भी बना हुआ है।

कडू ने किसानों की कर्जमाफी की मांग को लेकर संत तुकडोजी महाराज के पवित्र स्थल से उपोषण (अनशन) की शुरुआत की थी। राज्य सरकार ने आश्वासन तो दिया, लेकिन कोई ठोस निर्णय न लेने से बच्चू कडू ने आंदोलन को और तेज कर दिया।
अतिवृष्टि से तबाह किसान, आंदोलन हुआ और उग्र
इसी बीच महाराष्ट्र में अतिवृष्टि (भारी बारिश) से हजारों किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। किसानों की बदहाली देखकर बच्चू कडू ने 28 अक्टूबर को सरकार को घेरने का ऐलान किया और आंदोलन को उग्र रूप देने की तैयारी की।
नागपुर बना आंदोलन का केंद्र
28 अक्टूबर को नागपुर में बच्चू कडू के नेतृत्व में हजारों किसान सड़कों पर उतरे। आंदोलन को जबरदस्त जनसमर्थन मिला। नागपुर में चारों दिशाओं से आवागमन ठप हो गया और प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए।
स्थिति को संभालने के लिए सरकार ने राज्यमंत्री आशिष जैस्वाल समेत कई प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए भेजा। बातचीत के बाद निर्णय हुआ कि बच्चू कडू और किसान नेता मुंबई जाकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलेंगे।
मुंबई में हुई निर्णायक बैठक
मुंबई पहुंचने के बाद किसान प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री फडणवीस से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने उन्हें करीब आधा घंटा इंतजार करवाया, जबकि अंदर वरिष्ठ अधिकारियों और उपमुख्यमंत्रियों के साथ रणनीति बनाई जा रही थी।
करीब दो से ढाई घंटे चली बैठक में मुख्यमंत्री फडणवीस ने शुरुआत में बातचीत को टालने की कोशिश की, लेकिन किसान नेताओं के आक्रामक रुख के सामने सरकार को झुकना पड़ा।
सरकार का नया वादा: 30 जून 2026 तक कर्जमाफी
अंततः मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि राज्य सरकार 30 जून 2026 तक किसानों की कर्जमाफी करेगी।
अब सवाल यह है कि सरकार इस वादे को पूरा करेगी या एक बार फिर “समिति गठन” और “विचार-विमर्श” के नाम पर किसानों को सिर्फ आश्वासन का “बिस्किट” थमाएगी।
किसानों में मिश्रित प्रतिक्रिया
सरकार की घोषणा के बाद किसान संगठनों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ किसान इस निर्णय को आंदोलन की सफलता मान रहे हैं, जबकि कई इसे “एक और टालमटोल” करार दे रहे
